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Saturday, January 13, 2018

Lines of WIsdom


न मन मरा न माया मरी, मर मर गया शऱीर
मृगतृष्णा न मरी, क्षन क्षन क्षीर से बने फकीर

मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार
दुःख ने दुःख से बात कि, बिन चीठी बिन तार

... छोटा कर के देखिए जीवन का विस्तार
आंखों भर आकाश है, बाहों भर संसार

लेके तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव

सब कि पूजा एक सी, अलग अलग है रीत
मस्जिद जाये मौलवी, कोयल गाए गीत

पूजा घर में मुर्ति मीरा के संग शाम,
जिसकी जितनी चाकरी उतने उसके दाम

नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा, सब को बांटे काम

सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर
जिस दिन सोये देर तक, भूखा रहे फकीर

अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रुप
जैसे मिलकर आम से मीठी हो गयी धुप

सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना साँसों का इतिहास

चाहे गीता बांचिये, या पढिये कुरान
मेरा तेरा प्यार ही हर पुस्तक का ग्यान